Monday, September 28, 2015

कई रातें जाग कर, एक सुबह बनायीं है


कई रातें जाग कर, एक सुबह बनायीं है
मैंने सिर्फ तेरे लिए ओस की चादर बिछाई है

न जाने कितनो की सुन कर, ये कुछ अल्फ़ाज़ लाया हूँ
मैं सिर्फ तेरे लिए भीनी भीनी खुशबू बटोर लाया हूँ


 .... अभी आगे.…लिखना बाकी है… 

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