Thursday, January 29, 2015

मर्म धर्म कर्म श्रम


प्रिय पुत्र सवितुर,

ध्यान रखना ॥

सतयुग में मर्म प्रधान था (देव, मानव औ दानव की परिभाषा बनायीं गयी )
त्रेतायुग में धर्म प्रधान था (राम ने धर्म स्थापना की)
द्वापरयुग में कर्म प्रधान था  (कृष्ण ने कर्म को सर्वोपरि बनाया)
कलियुग में श्रम प्रधान है ।

श्रम में शर्म नहीं - क्यूंकि ये  कलियुग है इसलिए कर्म का धर्म समझो, धर्म का मर्म जानो, यथार्थ में जियो, श्रम का आनंद अनुभव करो.

तुम्हारा पिता
 

No comments:

Post a Comment